आवारा पशु हो रहे झटका मशीन के शिकार

किटनोद: जानवरों से फसल को बचाने के लिए यांत्रिक तरीके का भी इस्तेमाल किसान करते हैं, जिसमें झटका मशीन प्रमुख है। झटका मशीन की खासियत है कि यह सोलर सिस्टम पर आधारित संयंत्र है फसल के चारों ओर बिजली के तारों का बाड़ा बनाते हैं और उसमें करंट फिट किया जाता है। इस करंट से जानमाल की क्षति नहीं होती है और सिर्फ जानवर को झटका लगता है तो जानवर दोबारा उस फसल की ओर नहीं आते हैं। लेकिन यह साधन महंगा है किसान इससे कम उपयोग करते हैं, साथ ही खेत में इस मशीन को लगाकर छोड़ देने पर चोरी का भी डर बना रहता है। जिला केे सैकड़ों किसानोंं ने अपने खेत को चारों ओर से पशुओं को झटके मशीन के जाल से घेर रखा है। लेकिन यह भी कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। नीलगाय जहां मशीन के बाड़ा में घुस देते हैं, वहीं जंगली सूअर बीच से ही काट देते हैं। लेकिन कभी-कभार करंट के झटको से वे शिकार हो जाते हैं।
जिसके कारण लोग बिजली के खंभे से अवैध बिजली चोरी कर बीच आंकड़े बना कर पशुओं से खेत में खड़ी फहल को सुरक्षित रखते हैं। जिसके कारण बिजली बार बार कट जाती है। बिजली विभाग अवैध रूप से बिजली कनेक्शन करने वालों की जांच कर कार्रवाई करें। सरपंच व प्रशासन से अपील है कि किसानों की फसल नुकसान से बचाने के लिए शिकारी को हायर कर इस त्रासदी से मुक्ति दिलाने की व्यवस्था करे या उसके पापुलेशन ग्रोथ को रोके। सभी गांव में उपलब्ध गौचर, गैर-मजरुआ या अन्य खाली पड़े जमीन में बाड़ा बनाकर इन आवारा जानवरों को छोड़ देने से भी फसल क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है।